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मेरे हालात ने यूँ कर दिया पत्थर मुझ को
देखने वालों ने देखा भी न छू कर मुझ को
चराग़ जलते ही बीनाई बुझने लगती है
ख़ुद अपने घर में ही घर का निशाँ नहीं मिलता
होठोंं से ना हो बयांवो लफ्जों में ढ़लते हैं,हैं
कुछ दर्द ऐसेे भी है जो कागज पे उतरते हैं।हैं
सिधारें शैख़ काबा को हम इंग्लिस्तान देखेंगे
वो देखें घर ख़ुदा का हम ख़ुदा की शान देखेंगे
जरा रूको तो रिझाने में वक्त लगता है,
बुरे दिनों को भुलाने में वक्त लगता है,
कितना भी पकड़ो फिसलता जरूर है,
यह वक्त है साहब, बदलता जरूर है।
More Shayari
Motivational Shayari

हम को मिटा सके ये ज़माने में दम नहीं
हम से ज़माना ख़ुद है ज़माने से हम नहीं
~ Jigar Moradabadi

हम को मिटा सके ये ज़माने में दम नहीं
हम से ज़माना ख़ुद है ज़माने से हम नहीं
~ Jigar Moradabadi
मौजों की सियासत से मायूस न हो ‘फ़ानी’,
गिर्दाब की हर तह में साहिल नज़र आता है।

हम को मिटा सके ये ज़माने में दम नहीं
हम से ज़माना ख़ुद है ज़माने से हम नहीं
~ Jigar Moradabadi

हम को मिटा सके ये ज़माने में दम नहीं
हम से ज़माना ख़ुद है ज़माने से हम नहीं
~ Jigar Moradabadi
Festival Shayari

अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर ~ Mushafi Ghulam Hamdani

तुम्हारी तो दिवाली है,
लेकिन मेरी जिंदगी तो तुमने होली कर दी है…!!
तुम्हारी तो दिवाली है,
लेकिन मेरी जिंदगी तो तुमने होली कर दी है…!!
~ अज्ञात
तुम्हारी तो दिवाली है, लेकिन मेरी जिंदगी तो तुमने होली कर दी है…!! ~ अज्ञात

कहने लगे अब आइए सर पर है त्यौहार
घर मेरा नज़दीक है तारों के उस पार
कहने लगे अब आइए सर पर है त्यौहार
घर मेरा नज़दीक है तारों के उस पार
~ Bhagwan Das Ijaz
कहने लगे अब आइए सर पर है त्यौहार घर मेरा नज़दीक है तारों के उस पार ~ Bhagwan Das Ijaz

अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर ~ Mushafi Ghulam Hamdani

'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार
हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार
'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार
हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार
~ Couplets of Jamiluddin Ali
'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार ~ Couplets of Jamiluddin Ali

जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली
जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली
जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली
जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली
~ अज्ञात
जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली ~ अज्ञात

अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर

अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर

'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार
हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार
~ Couplets of Jamiluddin Ali
'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार

जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली
जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली
~ अज्ञात
जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली
यहाँ पढ़ें खुशियों से भरी शायरी, जो आपके दिल को छू जाएगी और चेहरे पर मुस्कान लाएगी।

हँसी थमी है इन आँखों में यूँ नमी की तरह.
चमक उठे हैं अंधेरे भी रौशनी की तरह.
~ अज्ञात
हँसी थमी है इन आँखों में यूँ नमी की तरह. चमक उठे हैं अंधेरे भी रौशनी की तरह.
नूर-ए-बदन से फैली अंधेरे में चाँदनी कपड़े जो उस ने शब को उतारे पलंग पर
Funny Shayari

ख़याल आया तो आपका आया,
आँखे बंद की तो ख्वाब आपका आया,
सोचा कि याद क रलूँ खुदा को पल दो पल,
पर होंठ खुले तो नाम आपका आया……!!!
~ अज्ञात
ख़याल आया तो आपका आया, आँखे बंद की तो ख्वाब आपका आया, सोचा कि याद क रलूँ खुदा को पल दो पल, पर होंठ खुले तो नाम आपका आया……!!!

तलाश मेरी थी और भटक रहा था वो,
दिल मेरा था और धडक रहा था वो,
प्यार का ताल्लुक अजीब होता है,
प्यास मेरी थी और सिसक रहा था वो……!!!
~ अज्ञात
तलाश मेरी थी और भटक रहा था वो, दिल मेरा था और धडक रहा था वो, प्यार का ताल्लुक अजीब होता है, प्यास मेरी थी और सिसक रहा था वो……!!!

वो शमा की महफ़िल ही क्या,
जिसमे दिल खाक ना हो,
मज़ा तो तब है चाहत का,
जब दिल तो जले, पर राख ना हो।
~ अज्ञात
वो शमा की महफ़िल ही क्या, जिसमे दिल खाक ना हो, मज़ा तो तब है चाहत का, जब दिल तो जले, पर राख ना हो।

कितना चाहते हैं तुमको
ये कभी कह नहीं पाते,
बस इतना जानते हैं,
की तेरे बिना रह नहीं पाते !
~ अज्ञात
कितना चाहते हैं तुमको ये कभी कह नहीं पाते, बस इतना जानते हैं, की तेरे बिना रह नहीं पाते !

हर पल बेवजह सी फ़िक्र, होती है इसकदर,
जब बेपनाह मोहब्बत किसी से होती है।
~ अज्ञात
हर पल बेवजह सी फ़िक्र, होती है इसकदर, जब बेपनाह मोहब्बत किसी से होती है।
अज्ञात
जिंदगी के हर मोड़ पर इम्तिहान होते हैं, और हर इम्तिहान में हम अपने हिस्से की खुशी खो देते हैं।
View Shayariअज्ञात
“तुम्हारे बिना ये दिल वीरान सा लगता है, जैसे किसी को खोकर हर खुशी खो गई।”
View Shayariअज्ञात
जो सबको संभालने की,, कोशिश करता हैं न, उसको संभालना हर कोई भूल जाता हैं…
View Shayariअज्ञात
“जिस दिल को दर्द देना आसान हो जाए, उस दिल की कीमत कोई नहीं समझ पाता।”
View Shayariअज्ञात
सच्चा प्यार केवल दो,पल के लिए ही होता हैं, पर जख्म सालों के,लिए दे जाता हैं..
View Shayariदिल भी तोड़ा तो सलीक़े से न तोड़ा तुम ने,
दिल भी तोड़ा तो सलीक़े से न तोड़ा तुम ने, बेवफ़ाई के भी आदाब हुआ करते हैं…!!
अज्ञातवह रोयी तो होगी खाली कागज देखकर,
वह रोयी तो होगी खाली कागज देखकर, पूछा था उसने अब कैसे गुजर रही है जिंदगी…!!
अज्ञातख्वाबों में बसा था जो, वो हकीकत में धोखा निकला,
ख्वाबों में बसा था जो, वो हकीकत में धोखा निकला, दिल लगाया था जिससे, वो ही तो बेवफा निकला।
अज्ञातये क्या कि तुम ने जफ़ा से भी हाथ खींच लिया
ये क्या कि तुम ने जफ़ा से भी हाथ खींच लिया मिरी वफ़ाओं का कुछ तो सिला दिया होता
अब्दुल हमीद अदमउदास लम्हों में न जाने क्यों ….
उदास लम्हों में न जाने क्यों …. बेवफा लोग बहुत याद आते है ..
अज्ञाततेरी बेवफाई का सौ बार शुक्रिया,
तेरी बेवफाई का सौ बार शुक्रिया, मेरी जान छूटी इश्क़-ऐ-बवाल से…!!
अज्ञाततेरी बेवफाई ने मेरा ये हाल कर दिया है,
तेरी बेवफाई ने मेरा ये हाल कर दिया है, मैं नहीं रोती, लोग मुझे देख कर रोते है।
अज्ञातकोई रिश्ता टूट जाये दुख तो होता है,
कोई रिश्ता टूट जाये दुख तो होता है, अपने हो जायें पराये दुख तो होता है, माना हम नहीं प्यार के काबिल, मगर इस तरह कोई ठुकराये दुख तो होता है।
अज्ञात
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"शब्द वो पुल हैं, जो दिलों को जोड़ते हैं।"